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चॉकलेट उद्यम से आत्मनिर्भर बनें किसान

देश में दुग्ध और कोको उत्पादन बढ़ने से, चॉकलेट उद्योग निवेशकों की पहली पसंद बन रहा है। पूरी दुनिया में जहां चॉकलेट इंडस्ट्री में ठहराव आ रहा है, वहीं भारत में 13 प्रतिशत की दर से यह उद्योग तेजी से बढ़ रहा है। ऐसे में देश के दुग्ध और कोको उत्पादक किसान चॉकलेट उद्यम लगाकर […]

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निजी उद्यमी गारंटी (पीईजी) स्‍कीम

भूमिका विगत कुछ वर्षों के दौरान न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य में वृद्धि  के साथ बेहतर पहुंच के कारण खरीद बढ़ी है। खाद्यान्‍नों की अधिक खरीद के परिणामस्‍वरुप केन्‍द्रीय पूल स्‍टॉक दिनांक 1.4.2008 की स्‍थिति के अनुसार 196.38 लाख टन से बढ़कर दिनांक 1.6.2012 की स्‍थिति के अनुसार 823.17 लाख टन के उच्‍चतम स्‍तर पर पहुंच गया।

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महात्मा गाँधी राष्‍ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना

नरेगा के बारे में राष्‍ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून 25 अगस्‍त, 2005 को पारित हुआ। यह कानून हर वित्‍तीय वर्ष में इच्‍छुक ग्रामीण परिवार के किसी भी अकुशल वयस्‍क को अकुशल सार्वजनिक कार्य वैधानिक न्‍यूनतम भत्‍ते पर करने के लिए 100 दिनों की रोजगार की कानूनी गारंटी देता है। भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय

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कृषि क्लीनिक और कृषि व्यापार केंद्र योजना

योजना के बारे में भारत सरकार के कृषि मंत्रालय ने राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) तथा मैनेज के सहयोग से यह योजना आरंभ की है, ताकि देश भर के किसानों तक कृषि के बेहतर तरीके पहुंचाये जा सकें। इस कार्यक्रम का उद्देश्य कृषि स्नातकों की बड़ी संख्या में उपलब्ध विशेषज्ञता का सदुपयोग है।

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ग्रामीण उद्योग समूहों के प्रचार कार्यक्रम

खादी और ग्रामोद्योग के लिए ग्रामीण उद्योग सेवा केंद्र (आरआईएससी) उद्देश्‍य समूह में खादी और ग्रामोद्योग गतिविधियां उपलब्‍ध कराना ग्रामीण समूहों को कच्‍चा माल समर्थन, कौशल उन्‍नयन, प्रशिक्षण, गुणवत्‍ता नियंत्रण, परीक्षण सुविधा, विपणन प्रचार, डिजाइन और उत्‍पाद विकास जैसी सेवाएं उपलब्‍ध कराना। योजना ‘ग्रामीण उद्योग सेवा केन्‍द्र’ सामान्‍य सुविधा है जिसका उद्देश्‍य ढांचागत सहायता और

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प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (PMEGP)

प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) भारत सरकार का सब्सिडी युक्‍त कार्यक्रम है। यह दो योजनाओं- प्रधानमंत्री रोजगार योजना (पीएमआरवाई) और ग्रामीण रोजगार सृजन कार्यक्रम को मिलाकर बनाया गया है। इस योजना का उद्घाटन 15 अगस्‍त, 2008 को किया गया। उद्देश्‍य नए स्‍वरोजगार उद्यम/परियोजनाएं/लघु उद्यम की स्‍थापना के जरिए देश के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों दोनों में ही

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समुद्री शैवालों की कृषि हेतु दिशा-निर्देश

परिचय मारीकल्चर में समुद्री शैवालों की कृषि एक विविधीकरण क्रिया-कलाप के रुप में, भारतीय समुद्रतट के साथ-साथ असाधारण संभावना रखती है। समुद्री शैवालों में विटामिनों और खनिजों की प्रचुर मात्रा होती है और उन्हें विश्व के विभिन्न भागों में भोजन के रुप में उपभोग किया जाता है और फाइटो कैमिकलों अर्थात् कुकुरमुत्ता, आयरलैंड के दलदल

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सजावटी मछलियों को भारत में आयात करने से संबंधित दिशानिर्देश

प्रस्तावना सजावटी मछलियों का वैश्विक व्यापार जिसमें उसके उपसाधन तथा मछली आहार भी शामिल है, 8 प्रतिशत के वार्षिक विकास के साथ 15 बिलियन अमरीकी डालर से अधिक होने का अनुमान है। 145 देशों द्वारा वार्षिक लगभग 500 मिलियन मछलियों का व्यापार किया जाता है, जिसमें से 80-85 प्रतिशत उष्णकटिबंधी प्रजातियाँ हैं। भारत में सजावटी

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भारत में तिलापिया के उत्तरदायी पालन के लिए दिशानिर्देश

पृष्ठभूमि तिलापिया अफ्रीका और मध्यपूर्व की मूल प्रजाति है जोकि पहले लुप्त-प्रायः और अप्रसिद्ध थी लेकिन अब यह विश्व में एक सर्वाधिक उत्पादनशील और अंतर्राष्ट्रीय व्यापारिक खाद्य मछलियों में से एक के रूप में उभरी है। तिलापिया का पालन, विशेष रूप से नाईल तिलापिया (ओरियोक्रोमिस निलोटिकस) की उत्पत्ति अपने अपरिष्कृत रूप में मिस्र में 4000

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मॉडल ऑटोमेटिक दूध संग्रहण केंद्र योजना

भारत के पास विश्व में सर्वाधिक पशुधन है। हमारे देश में पूरे विश्व की लगभग 57.3 प्रतिशत भैंस और 14.7 प्रतिशत पशु हैं। भारतीय डेयरी उद्योग का देश की अर्थव्यवस्था में प्रमुख योगदान है और राशि की दृष्टि से यह योगदान चावल से ज्यादा है। वर्ष 2011-12 में दुग्ध उत्पादों का मूल्य रु० 3,05,484 करोड़

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