Crop County

Author name: Rahul Bonde

मधुमक्खी उत्पाद

भूमिका मधुमक्खियां अनेक उत्पाद जैसे शहद, मधुमक्खी का मोम, पराग, प्रापलिस, रॉयल जैली और विष उपलब्ध कराती हैं। छत्तों के विभिन्न उत्पादों के उत्पादन के लिए प्रौद्योगिकियां अब भारत में उपलब्ध हैं, तथापि इन्हें किसानों के खेतों में मानकीकृत करने की आवश्यकता है। इन उत्पादों का कार्यान्वयन तथा वाणिज्यीकरण आवश्यक है, ताकि हरियाणा राज्य में […]

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उच्च उत्पादकता के लिये मधुमक्खियों की कॉलोनियों का प्रबंध

भूमिका मधुमक्खी क्लोनियों  की उत्पादकता संबंधित वनस्पतियां, मौसम की दशाओं व मधुमक्खियों की क्लोनियों  के प्रबंध पर निर्भर है। शहद उत्पादन के मौसम के दौरान तथा इसका मौसम न होने पर, दोनों ही स्थितियों में मधुमक्खियों की क्लोनियों  का प्रबंध उच्च कालोनी उत्पादकता प्राप्त करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। मधुमक्खी पालन संबंधी उपकरण भी वैज्ञानिक मधुमक्खी

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मीठी क्रांति

कृषि आधारित गतिविधि मधुमक्खी पालन एक कृषि आधारित गतिविधि है, जो एकीकृत कृषि व्यवस्था (आईएफएस) के तहत ग्रामीण क्षेत्र में किसान/ भूमिहीन मजदूरों द्वारा की जा रही है। फसलों के परागण में मधुमक्खी पालन खासा उपयोगी है, जिससे कृषि आय में बढ़ोतरी के माध्यम से किसानों/ मधुमक्खी पालकों की आय बढ़ रही है और शहद

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वर्मीकम्पोस्ट बनाने की विधि

सामान्य विधि (General method) वर्मीकम्पोस्ट बनाने के लिए इस विधि में क्षेत्र का आकार (area) आवश्यकतानुसार रखा जाता है किन्तु मध्यम वर्ग के किसानों के लिए 100 वर्गमीटर क्षेत्र पर्याप्त रहता है। अच्छी गुणवत्ता की केंचुआ खाद बनाने के लिए सीमेन्ट तथा इटों से पक्की क्यारियां (Vermi-beds) बनाई जाती हैं। प्रत्येक क्यारी की लम्बाई 3

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केंचुआ पालन की विधि

परिचय वर्मी –कंपोस्ट को वर्मी कल्चर या केंचुआ पालन भी कहा जाता है| विदेशों में इसे व्यवसायिक रूप में मछलियों की खाद के लिए सन 1950 से इसका उत्पादन प्रारंभ किया गया| धीरे –धीरे यह उद्योग का रूप लेने लगा और 1970 तक अनेक देशों ने इसे मछलियों के खाद्य के लिए इस व्यवसाय को

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केंचुआ खाद (वर्मीकम्पोस्ट) उत्पादन तकनीक

परिचय कृषि वैज्ञानिकों ने जैविक व जीवांश खादों को रासायनिक उर्वरकों के विकल्प के रूप में खोज लिया है जो कि सामान्यतया सस्ते और पर्यावरण की दृष्टि से उपयुक्त  पाए गए है| जीवांश खादों को पशुओं के मूत्र व गोबर, कूड़ा-कचरा, अनाज की भूसी, राख, फसलों एवं फलों के अवशेष इत्यादि को सड़ा गलाकर तैयार

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उत्तम कंपोस्ट हेतु जापानी विधि

परिचय खेती में बढ़ती लागत को कम करने तथा मिट्टी की उर्वराशक्ति को बनाए रखने के लिए जैविक खाद कंपोस्ट का अपना महत्त्व है| परन्तु हमारे यहाँ लगभग सत्तर प्रतिशत सत्तर प्रतिशत गोबर का उपयोग ईंधन के रूप में हो जाने के कारण किसान गोबर आदि की खाद का अभाव महसूस करते हैं| इसके अतिरिक्त

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चॉकलेट उद्यम से आत्मनिर्भर बनें किसान

देश में दुग्ध और कोको उत्पादन बढ़ने से, चॉकलेट उद्योग निवेशकों की पहली पसंद बन रहा है। पूरी दुनिया में जहां चॉकलेट इंडस्ट्री में ठहराव आ रहा है, वहीं भारत में 13 प्रतिशत की दर से यह उद्योग तेजी से बढ़ रहा है। ऐसे में देश के दुग्ध और कोको उत्पादक किसान चॉकलेट उद्यम लगाकर

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निजी उद्यमी गारंटी (पीईजी) स्‍कीम

भूमिका विगत कुछ वर्षों के दौरान न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य में वृद्धि  के साथ बेहतर पहुंच के कारण खरीद बढ़ी है। खाद्यान्‍नों की अधिक खरीद के परिणामस्‍वरुप केन्‍द्रीय पूल स्‍टॉक दिनांक 1.4.2008 की स्‍थिति के अनुसार 196.38 लाख टन से बढ़कर दिनांक 1.6.2012 की स्‍थिति के अनुसार 823.17 लाख टन के उच्‍चतम स्‍तर पर पहुंच गया।

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महात्मा गाँधी राष्‍ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना

नरेगा के बारे में राष्‍ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून 25 अगस्‍त, 2005 को पारित हुआ। यह कानून हर वित्‍तीय वर्ष में इच्‍छुक ग्रामीण परिवार के किसी भी अकुशल वयस्‍क को अकुशल सार्वजनिक कार्य वैधानिक न्‍यूनतम भत्‍ते पर करने के लिए 100 दिनों की रोजगार की कानूनी गारंटी देता है। भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय

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