देश में दुग्ध और कोको उत्पादन बढ़ने से, चॉकलेट उद्योग निवेशकों की पहली पसंद बन रहा है। पूरी दुनिया में जहां चॉकलेट इंडस्ट्री में ठहराव आ रहा है, वहीं भारत में 13 प्रतिशत की दर से यह उद्योग तेजी से बढ़ रहा है। ऐसे में देश के दुग्ध और कोको उत्पादक किसान चॉकलेट उद्यम लगाकर अपनी आय बढ़ा सकते हैं। किसानों को इसके लिए सरकार की तरपफ से सुविधाएं भी दी जा रही हैं। केंद्र सरकार द्वारा कृषि क्षेत्रा को उच्च प्राथमिकता देते हुए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से योगदान देकर किसानों की आय में बढ़ोतरी करने तथा युवाओं को रोजगार का अवसर प्रदान करने के लिए, स्टार्ट-अप्स को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत एक घटक के रूप में, नवाचार और कृषि उद्यमिता विकास कार्यक्रम शुरू किया गया है। इसको वित्तीय सहायता प्रदान करके और ऊष्मायन पारिस्थितिकी तंत्र को पोषित करके, नवाचार और कृषि उद्यमिता को बढ़ावा दिया जा रहा। इन स्टार्ट-अप्स में डेयरी क्षेत्रा को कोको की खेती के साथ जोड़कर चॉकलेट उद्योग लगाने के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। कोको की खेती करने के लिए कोको विकास निदेशालय, भारत सरकार और विभिन्न राज्य सरकारों की तरपफ से राष्ट्रीय कृषि विकास योजना में कोको को शामिल किया गया है।
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय भारत के ट्रेड प्रमोशन काउंसिल ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार देश में 2 लाख 28 हजार टन चॉकलेट का सालाना उत्पादन हो रहा है। आने वाले वर्षों में देश में 3 लाख ४१ हजार 609 टन चॉकलेट का उत्पादन होने की उम्मीद है।
दुग्ध क्षेत्र से जुड़े वैज्ञानिकों के अनुसार बदलती जीवन शैली, खानपान की बदलती आदतें और गिफ्ट में चॉकलेट देने के बढ़ते चलन के कारण भी यह इंडस्ट्री आगे बढ़ रही है। भारत, चॉकलेट का प्रमुख निर्यातक देश भी बन रहा है। भारत से सउदी अरब, यूएइर्, सिंगापुर, नेपाल और हांगकांग में चॉकलेट निर्यात किया जा रहा है। देश में दुग्ध उत्पादन अधिक होने आरै कोको की खेती बढ़ने से चॉकलेट उद्योग को बढ़ने में आसानी हो रही है। देश में एक नगदी फसल के रूप में कोको किसानों की पसंद बनती जा रही है। ऐसे में काजू और कोको विकास निदेशालय, भारत सरकार, एक योजना बनाकर देश में कोको की खेती बढ़ाने के लिए काम कर रहे हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार कोको एक नियार्तोन्मुख फसल है। चॉकलेट में कच्चे माल के रूप में इसका इस्तेमाल होता है। भारत में कोको की खेती केरल, कनार्टक, तमिलनाडु आरै आंध्र प्रदेश में हो रही है। देश में तीन प्रकार की चॉकलेट का उत्पादन हो रहा है, जिसमें व्हाइट, डार्क आरै मिल्क चॉकलेट शामिल हैं। अगर बाजार में बिक्री की हिस्सेदारी के अनुसार देखें तो मिल्क चॉकलेट 75 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ बाजार में प्रथम स्थान पर है। व्हाइट चॉकलेट की 16 प्रतिशत आरै डार्क चॉकलेट की 9 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
कोको की खेती को बढ़ावाकोको (थियोब्राेमा काकाओ एल) एमेजोन मूल की फसल है। यह बीसवीं सदी की शुरूआत में भारत लाई गई थी। काॅफी, चाय आरै रबड़ की तरह कोको को भी देश में बागवानी फसल का दर्जा प्राप्त है। कोको विकास निदेशालय के अनुसार कोको, दक्षिणी अमेरिका की मुख्य फसल है। बहुतायत में इसकी खेती अफ्रीकी भूखंड के उष्णकटिबंधीय इलाके में की जाती है। कोको के एक उष्णकटिबंधीय फसल होने के कारण भारत में इसके विकास की काफी संभावनाएं हैं। देश में इसकी व्यावसायिक खेती 1960 के दशक में शुरू की गई, लेकिन अभी भी देश में कोको के अलग से बागान नहीं हैं। ऐसे में कोको निदेशालय इसके बागान लगाने के लिए भी काम कर रहा है। |
आजकल डार्क और शुगर फ्री चॉकलेट की भी मांग तेजी से बढ़ रही है। बाजार में मेडिसिनल और आर्गनिक चॉकलेट की मांग को देखते हुए चॉकलेट उत्पादक इकाइयों ने ऐसेम भी बाजार में उतारना शुरू कर दिए हैं। देश में चॉकलेट का बड़े पमैाने पर उत्पादन होने के बाद भी निर्यात के मामले में अभी भारत शीर्ष पांच देशों में अपनी जगह नहीं बना पाया है। पूरे विश्व में 17.1 प्रतिशत निर्यात के साथ जर्मनी नंबर वन चॉकलेट नियार्तक देश है, वहीं 11 प्रतिशत के साथ बेल्जियम दूसरे, 6.8 प्रतिशत के साथ नीदरलैंड तीसरे, 6.3 प्रतिशत के साथ इटली चौथे और 6.1 प्रतिशत निर्यात के साथ अमेरिका पांचवें स्थान पर है।
ट्रेड प्रमोशन काउंसिल ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2025 में भारत में कोको का उत्पादन दोगुना होने के साथ 30 हजार टन होने की उम्मीद है। ऐसे में देश के चॉकलेट उद्योग को बड़ी मात्रा में कच्चे माल के रूप में कोको मिलेगा और भारत चॉकलेट के प्रमुख निर्यातक देशों में शामिल हो जाएगा।
पिछले वर्ष 78000 हैक्टर क्षेत्रफल से 16050 मीट्रिक टन का कोको उत्पादन हुआ था। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार के अंतगर्त आने वाले कृषि और प्रसंस्करित खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) की रिपोर्ट के अनुसार देश ने वर्ष 2016-17 के दौरान 1,089.99 करोड़ रुपये मूल्य के 25700.17 मीट्रिक टन कोको उत्पाद का विश्व को निर्यात किया है।
स्त्राेत : खेती पत्रिका(आईसीएआर), प्रस्तुति-अश्वनी कुमार निगम।