सूचना प्रौद्योगिकी संबंधी कार्य
योजना है-
आधुनिक ई तकनीकी के माध्यम से किसानों को खेती से जुड़ी नवीनतम सूचनाएं त्वरितता से पहुँच जाती हैं। भारत शासन द्वारा प्रारंभ इस केन्द्र प्रवर्तित कार्यक्रम अंतर्गत मुखय रुप से किसानों को चयनित सेवाओं के प्रदाय हेतु राज्य कृषि पोर्टल एवं केन्द्रीय कृषि पोर्टल का विकास तथा इनके कुशल संचालन एवं संधारण हेतु आवश्यक व्यवस्थाएँ की जा रही है।
योजना का क्या लाभ है-
इस कार्यक्रम अंतर्गत कुल 12 सेवाएँ यथा उर्वरक, बीज एवं पौध संरक्षण दवाओं के प्रदायकर्ता, मृदा स्वास्थ्य, उत्तम कृषि क्रियाएँ, मौसम अनुमान, कृषि मूल्य, प्रमाणीकरण, आयात निर्यात, विपणन अधोसंरचना, च्ंहम 14 वि 25 मूल्यांकन एवं पर्यवेक्षण, सिंचाई, सूखा, मत्स्य एवं पशुपालन के संबंध में तकनिकी जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
सेवाएं कहां उपलब्ध हैं
राज्य (मुख्यालय), संभाग (10), जिला (51), कृषि विस्तार प्रशिक्षण केन्द्र (19) अनुविभागीय कृषि अधिकारी कार्या.(100), सहायक भूमि संरक्षण अधिकारी कार्या.(81), बीज/ उर्वरक/कीटनाशक/मिट्टी परीक्षण प्रयोगशालाएं (22), मृदा सर्वेक्षण अधिकारी कार्यालयों (08) एवं विकास खण्ड कार्यालयों (313) में क्रियान्वित है। साथ ही अन्य विभाग उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण, पशुपालन, मत्स्य पालन को भी संबद्ध किया गया है।
कृषि जलवायु क्षेत्र हेतु पायलेट प्रोजेक्ट
योजना यह है
प्रदेश की क्षेत्रीय समस्याओं के समाधान करने की दिशा में कृषि क्षेत्रीय जलवायु क्षेत्र हेतु पायलेट परियोजना (नवीन योजना) संचालित की जा रही है। योजना के अंतर्गत समस्याओं को क्षेत्रवार चिन्हित कर उनके समाधान हेतु कृषि की सर्वोत्तम विधियों को सघनता से अपनाने के प्रयास खोजना है। पायलेट क्षेत्र में समन्वित रूप से योजनाओं का अभिसरण होने से कृषकों को विभिन्न योजनाओं का समेकित लाभ अच्छे रूप में मिल सकेगा।
योजना यहां प्रचलन में है-
फसलों के आधार पर परियोजना का कार्यक्षेत्र निम्नानुसार है :-
- एस.आर.आई. पद्धति से धान की उत्पादकता में वृद्धि हेतु 11 जिले सिंगरौली, उमरिया, मुरैना सीधी, जबलपुर, सिवनी, श्योपुर, भिंड, ग्वालियर, बालाघाट, एवं छतरपुर चयनित हैं।
- हाईब्रिड मक्का बीज हेतु प्रदेश के 4 जिले झाबुआ, छिंदवाड़ा, बैतूल एवं अलीराजपुर परियोजना अंतर्गत चयनित है।
- रिज एवं फरो एंड रेज्ड बैड प्लांटिंग पद्धति से सोयाबीन फसल बोआई हेतु योजना प्रदेश के 27 सोयाबीन उत्पादक जिलों हेतु चयनित है।
क्या लाभ मिलते हैं-
- धान की एस.आर.आई. पद्धति के लिये प्रति प्रदर्शन हेतु अनुदान रू.3000/- देय है।
- रिज एवं फरो एंड रेज्ड बैड प्लांटिंग पद्धति से सोयाबीन फसल बोआई हेतु प्रतियंत्र अनुदान 50प्रतिशत या 2500 रू. अधिकतम अनुदान देय होगा।
- हाईब्रिड मक्का बीज हेतु कीमत का 90 प्रतिशत या 500 रू. प्रति एकड़ जो भी कम हो अनुदान देय होगा।
प्रदेश में गुण नियंत्रण तथा परीक्षण प्रयोगशालाए
महत्व
फसल उत्पादन में प्रयोग किये जाने वाले कृषि रसायन जैसे उर्वरक, बीज और कीटनाशक आदि मंहगे कृषि आदान हैं। उत्पादन वृद्धि के लिये इनकी मात्रा निश्चित होती है। यदि यह शुद्ध न हों या मानक स्तर के न हों तो किसानों को इनसे लाभ की जगह हानि हो सकती है। इसलिये निजी स्त्रोत तथा सहकारिता के माध्यम से किसानों को उपलब्ध होने वाले कृषि रसायनों का परीक्षण, अधिकृत विभागीय प्रयोगशालाओं किया जाता है।
इस तरह किया जाता है
किसानों को गुणवत्ता पूर्ण आदान सामग्री उपलब्ध कराने के लिये उर्वरक, बीज तथा कीटनाशक रसायन गुण नियंत्रण प्रयोगशालाएं संचालित हैं। विभागीय आदान निरीक्षकों द्वारा संकलित किये गये नमूनों का परीक्षण इन प्रयोगशालाओं में कर आदानों की गुणवत्ता की परख की जाती है। अमानक पाये गये नमूनों के प्रकरणों से संबंधित के विरूद्ध विभिन्न अधिनियमों में निहित प्रावधानों के तहत् कार्यवाही की जाती है।
प्रयोगशालाएं यहां हैं
- उर्वरक गुण नियंत्रण प्रयोगशाला – भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर।
- बीज परीक्षण प्रयोगशाला – ग्वालियर।
कीट गुण नियंत्रण प्रयोगशाला – जबलपुर में स्थापित है तथा परीक्षण की सुविधा संभाग स्तर पर उपलब्ध कराने हेतु प्रदेश के सभी 10 संभागों में बीज एवं उर्वरक प्रयोगशालाओं की स्थापना प्रक्रियाधीन है।
स्त्रोत : किसान पोर्टल,भारत सरकार