Crop County

महात्मा गाँधी राष्‍ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना

नरेगा के बारे में

  • राष्‍ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून 25 अगस्‍त, 2005 को पारित हुआ। यह कानून हर वित्‍तीय वर्ष में इच्‍छुक ग्रामीण परिवार के किसी भी अकुशल वयस्‍क को अकुशल सार्वजनिक कार्य वैधानिक न्‍यूनतम भत्‍ते पर करने के लिए 100 दिनों की रोजगार की कानूनी गारंटी देता है। भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय राज्‍य सरकारों के साथ मिलकर इस योजना को क्रियान्‍वित कर रहा है।
  • यह कानून प्राथमिक तौर पर गरीबी रेखा से नीचे रह रहे अर्द्ध या अकुशल ग्रामीण लोगों की क्रय शक्ति को बढ़ाने के उद्देश्‍य के साथ शुरू किया गया। यह देश में अमीर और गरीब के बीच की दूरी को कम करने का प्रयास था। मोटे तौर पर कहें तो काम करने वाले लोगों में एक-तिहाई संख्‍या महिलाओं की होनी चाहिए।
  • ग्रामीण परिवारों के वयस्‍क सदस्‍य अपने नाम, आयु और पते के साथ फोटो ग्राम पंचायत के पास जमा करवाते हैं। ग्राम पंचायत परिवारों की जांच-पड़ताल करने के बाद एक जॉब कार्ड जारी करती है। जॉब कार्ड पर पंजीकृत वयस्‍क सदस्‍य की पूरी जानकारी उसकी फोटो के साथ होती है। पंजीकृत व्‍यक्ति काम के लिए लिखित में आवेदन पंचायत या कार्यक्रम अधिकारी के पास जमा करा सकता है (कम से कम 14 दिन तक लगातार काम के लिए)।
  • पंचायत/कार्यक्रम अधिकारी वैध आवेदन को स्‍वीकार करेगा और आवेदन की पावती तारीख समेत जारी करेगा। काम उपलब्‍ध कराने संबंधी पत्र आवेदक को भेज दिया जाएगा और पंचायत कार्यालय में प्रदर्शित होगा। इच्छुक व्यक्ति को रोजगार पांच किलोमीटर के दायरे के भीतर उपलब्‍ध कराया जाएगा और यदि यह पांच किलोमीटर के दायरे से बाहर होता है, तो उसके बदले में अतिरिक्‍त भत्‍ता दिया जाएगा।

क्रियान्‍वयन की स्थिति

  • वित्‍तीय वर्ष 2006-2007 के दौरान 200 जिलों और 2007-2008 के दौरान 130 जिलों में योजना की शुरुआत‍ हुई।
  • अप्रैल, 2008 में नरेगा का 34 राज्‍यों और केन्‍द्र शासित प्रदेशों के सभी 614 जिलों, 6096 ब्‍लॉकों और 2.65 लाख ग्राम पंचायतों में विस्‍तार किया गया।

महात्मा गाँधीराष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम पर सवाल-ज़वाब

अधिनियम के अधीन रोज़गार के लिए कौन आवेदन कर सकता है

ग्रामीण परिवारों के वे सभी व्यस्क सदस्य जिनके पास जॉब कार्ड है, वे आवेदन कर सकते हैं। यद्यपि वह व्यक्ति जो पहले से ही कहीं कार्य कर रहा है, वह भी इस अधिनियम के अंतर्गत अकुशल मज़दूर के रूप में रोजगार की माँग कर सकता है। इस कार्यक्रम में महिलाओं को वरीयता दी जाएगी और कार्यक्रम में एक-तिहाई लाभभोगी महिलाएँ होंगी।

क्या काम के लिए व्यक्तिगत आवेदन जमा किया जा सकता है ?

हाँ, रोजगार प्राप्तकर्त्ता का पंजीकरण परिवार-वार किया जाएगा। परन्तु पंजीकृत परिवार वर्ष में 100 दिन काम पाने के हकदार होंगे। साथ ही, परिवार के व्यक्तिगत सदस्य भी काम पाने के लिए आवेदन कर सकता है।

कोई व्यक्ति कार्य के लिए कैसे आवेदन कर सकता है ?

पंजीकृत व्यस्क, जिसके पास जॉब कार्ड है, एक सादे कागज़ पर आवेदन कर कार्य की माँग कर सकता है। आवेदन ग्राम पंचायत या कार्यक्रम अधिकारी (खंड स्तर पर) को संबोधित कर लिखा गया हो और उसमें आवेदन जमा करने की तिथि की माँग की जा सकती है।

एक व्यक्ति वर्ष में कितने दिन का रोज़गार पा सकता है ?

एक वित्तीय वर्ष में एक परिवार को 100 दिनों तक रोज़गार मिल सकेगा और इसे परिवार के वयस्क सदस्यों के बीच विभाजित किया जाएगा। कार्य की अवधि लगातार 14 दिन होगी लेकिन वह सप्ताह में 6 दिन से अधिक नहीं होगी।

व्यक्ति को रोज़गार की प्राप्ति कब होगी ?

आवेदन जमा करने के 15 दिनों के भीतर या कार्य की मांग के दिन से आवेदक को रोज़गार प्रदान किया जाएगा।

रोज़गार का आवंटन कौन करता है ?

ग्राम पंचायत या कार्यक्रम अधिकारी, जिसे भी प्राधिकृत किया गया हो, वह कार्य का आवंटन करेगा।

कोई व्यक्ति कैसे जान सकेगा कि किसे रोज़गार दिया गया है ?

आवेदन जमा करने के 15 दिनों के भीतर आवेदक को कार्य कब और कहाँ की जानकारी दी जाएगी जिसे ग्राम पंचायत/कार्यक्रम अधिकारी द्वारा पत्र के माध्यम से सूचित किया जाएगा। साथ ही, ग्राम पंचायत के सूचना बोर्ड तथा प्रखंड स्तर पर कार्यक्रम अधिकारी के कार्यालय में सूचना पट पर प्रकाशित की जाएगी जिसमें दिनांक, समय, स्थान की सूचना दी जाएगी।

रोज़गार प्राप्ति के तुरन्त बाद आवेदक को क्या करनी चाहिए ?

आवेदक को जॉब कार्ड के साथ निर्धारित तिथि पर कार्य के लिए उपस्थित होनी चाहिए।

यदि आवेदक कार्य पर रिपोर्ट नहीं करता तो क्या होगा ?

यदि कोई व्यक्ति ग्राम पंचायत या कार्यक्रम अधिकारी द्वारा सूचित किये गये समय से 15 दिनों के भीतर कार्यस्थल पर रिपोर्ट नहीं करता तो वह बेरोज़गारी भत्ते का हकदार नहीं होगा।

क्या ऐसा व्यक्ति कार्य हेतु पुनः आवेदन दे सकता है ?

हाँ।

उसका/उसकी मज़दूरी क्या होगी ?

उसे राज्य में कृषक मज़दूरों हेतु लागू न्यूनतम मज़दूरी प्राप्त होगी।

मज़दूरी का भुगतान किस प्रकार किया जाएगा दैनिक मज़दूरी या ठेका दर ?

अधिनियम के अंतर्गत दोनों ही लागू है। यदि मज़दूरों को ठेका के आधार पर भुगतान किया जाता है तो उसका निर्धारण इस प्रकार किया जाएगा किसी व्यक्ति को सात घंटे तक काम करने के बाद न्यूनतम मज़दूरी प्राप्त हो सके।

मज़दूरी का भुगतान कब किया जाएगा ?

मज़दूरी का भुगतान प्रति सप्ताह किया जाएगा या अन्य मामलों में काम के पूरा होने के 15 दिनों के भीतर। इस मज़दूरी का आँशिक भाग नगद रूप में प्रति दिन भुगतान किया जाएगा।

श्रमिकों को कार्यस्थल पर कौन सी सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाएगी ?

श्रमिकों को स्वच्छ पेयजल, बच्चों के लिए शेड, विश्राम के लिए समय, प्राथमिक उपचार बॉक्स के साथ कार्य के दौरान घटित किसी आकस्मिक घटना का सामना करने के लिए अन्य सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाएगी।

काम कहाँ दिये जाएंगे ?

आवेदक के निवास से पाँच किमी के भीतर काम उपलब्ध कराये जाएँगे। निवास स्थान से 5 किमी क्षेत्र की परिधि के बाहर काम प्रदान करने की स्थिति में संबंधित व्यक्ति को परिवहन व आजीविका मद में 10 प्रतिशत अतिरिक्त मजदूरी प्रदान की जाएगी। यदि किसी व्यक्ति को 5 किमी की दूरी से हटकर काम करने हेतु आदेश दिया जाता है तो अधिक उम्र के व्यक्ति एवं महिलाओं को उसके गाँव के नजदीक कार्य उपलब्ध कराने में प्राथमिकता दी जाएगी।

कामगारों के लिए क्या प्रावधान है ?

दुर्घटना की स्थिति में  यदि कोई कामगार कार्यस्थल पर कार्य के दौरान घायल होता है तो राज्य सरकार की ओर से वह निःशुल्क चिकित्सा सुविधा पाने का हकदार होगा।

घायल मज़दूर के अस्पताल में भर्ती करवाने पर – संबंधित राज्य सरकार द्वारा संपूर्ण चिकित्सा सुविधा, दवा, अस्पताल में निःशुल्क बेड उपलब्ध कराया जाएगा। साथ ही, घायल व्यक्ति प्रतिदिन कुल मजदूरी राशि का 50 प्रतिशत पाने का भी हकदार होगा

कार्यस्थल पर दुर्घटना के कारण पंजीकृत मजदूर की स्थायी विकलांगता या मृत्यृ हो जाने की स्थिति में  मृत्यृ या पूर्ण विकलाँगता की स्थिति में केन्द्र सरकार द्वारा अधिसूचित राशि या 25 हज़ार रुपये पीड़ित व्यक्ति के परिवार को दी जाएगी।

यदि योग्य व्यक्ति (आवेदनकर्त्ता) को रोज़गार नहीं प्रदान किया जाए तो क्या होगा ?

यदि योग्य आवेदक को माँग पर 15 दिनों के भीतर या फिर जिस दिन से उसे कार्य मिलना था अगर न मिल पाया तो आवेदक को आवेदन प्रस्तुत करने की तिथि से निर्धारित शर्तों और नियमों के अनुसार बेरोज़गारी भत्ता प्रदान किया जाएगा।

भत्ते की दर  पहले 30 दिनों के लिए बेरोज़गारी भत्ते की दर मज़दूरी दर का 25 प्रतिशत होगा और उसके बाद उस वित्तीय वर्ष में परिवार के रोजगार हक को देखते हुए मज़दूरी 50 प्रतिशत दर से दी जाएगी।

किस प्रकार का काम दिया जाएगा ?

स्थायी संपत्ति – योजना का एक महत्वपूर्ण लक्ष्य है कि स्थायी संपत्ति का सृज़न करना और ग्रामीण परिवारों के आज़ीविका साधन आधार को मज़बूत बनाना।

ठेकेदारों द्वारा कार्य निष्पादन की अनुमति नहीं

  1. जल संरक्षण और जल संग्रहण
  2. सूखा बचाव, वन रोपण और वृक्षारोपण
  3. सिंचाई नहरों के साथ सूक्ष्म एवं लघु सिंचाई कार्य।
  4. अनुसूचित जाति/जनजाति समुदाय की भूमि या भूमि सुधार के लाभभोगी की भूमि या भारत सरकार के इंदिरा आवास योजना के लाभभोगी परिवार के सदस्यों की भूमि के लिए सिंचाई की व्यवस्था।
  5. परंपरागत जल स्रोतों का पुनरुद्धार।
  6. भूमि विकास
  7. बाढ़ नियंत्रण तथा सुरक्षा एवं प्रभावित क्षेत्र में जल निकासी की व्यवस्था।
  8. बारहमासी सड़क की सुविधा। सड़क निर्माण में जहाँ कहीं भी आवश्यक हो वहाँ पर पुलिया का निर्माण करना।
  9. राज्य सरकार से परामर्श के बाद केन्द्र सरकार द्वारा अधिसूचित अन्य कोई कार्य।

कार्यक्रम कार्यकर्त्ता क्या करते हैंउसके लिए वे कैसे जवाबदेह है ?

कार्यक्रम कार्यकर्त्ता, निरंतर तथा समवर्ती मूल्यांकन और बाह्य एवं आंतरिक लेखा के माध्यम से अपने कार्य के प्रति ज़वाबदेह होंगे। सामाजिक लेखा परीक्षण की शक्ति ग्रामसभा में निहित होगी और ग्रामसभा द्वारा ग्राम स्तरीय निगरानी समिति का गठन किया जाएगा जो सभी कार्यों की देखरेख करेगा। अधिनियम के उल्लंघन की स्थिति में दोषी व्यक्ति को 1 हज़ार रुपये तक ज़ुर्माना हो सकेगा। इसके अलावे, प्रत्येक जिले में एक शिकायत निपटान तंत्र भी स्थापित की जाएगी।

एमएनआरईजीएस के तहत शामिल क्रियाकलाप

महत्मा गांधी नरेगा की अनुसूची—I के पैरा 1 में उल्लेख किए क्रियाकलाप इस प्रकार हैं:

  • जल संरक्षण तथा जल संभरण;
  • सूखे से बचाव (वन रोपण तथा वृक्षारोपण);
  • सींचाई नहर तथा माइक्रो तथा माइनर सींचाई कार्य;
  • सींचाई सुविधा, बागवानी वन रोपण तथा अनुसूचित जातियों तथा जन-जातियों या बीपीएल परिवारों अथवा भूमि विकास हेतु लाभार्थियों या भारत सरकार की इंदिरा आवास योजना के तहत अथवा कृषि ऋण माफी तथा ऋण राहत योजना 2008 के तहत आने वाले छोटे या सीमांत किसानों की भूमि का विकास करना।
  • पारंपरिक जलाशयों का नवीनीकरण तथा टंकियों का गादनाशन;
  • भूमि विकास;
  • भोजन नियंत्रण तथा सुरक्षा कार्य, जिनमें जल-जमाव वाले इलाकों में जल निकास के कार्य;
  • सभी मौसम में जुड़ाव के लिए ग्रामीण कनेक्टिविटी;
  • भारत निर्माण के तहत निर्माण कार्य, ग्रामीण ज्ञान संसाधन केंद्र के रूप में राजीव गांधी सेवा केंद्र, ग्राम पंचायत स्तर में ग्राम पंचायत भवन (11.11.2009 की तिथि पर दी गई अधिसूचना के अनुरूप) के कार्य;
  • कोई अन्य कार्य जो राज्य सरकार के परामर्श से केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित।

स्रोत :www.pib.nic.in

नरेगा के लिए टॉल फ्री सहायता सेवा

  • नई दिल्‍ली में ग्रामीण विकास मंत्रालय ने नरेगा के अंतर्गत आने वाले परिवारों और अन्‍य के लिए एक राष्‍ट्रीय हेल्‍पलाइन सेवा शुरू की है जिससे ये लोग कानून के तहत अपने अधिकारों के संरक्षण और कानून के समुचित क्रियान्‍वयन व योजना संबंधी मदद ले सकें।
  • टॉल फ्री हेल्‍पलाइन नबंर है: 1800110707

ऑनलाइन जन शिकायत निपटारा प्रणाली

  • नरेगा की वेबसाइट पर ऑनलाइन जन शिकायत निपटारा प्रणाली के जरिए आप अपने क्षेत्र में नरेगा से सम्‍बन्धित मुद्दों पर शिकायत दर्ज कराने में लोगों की मदद कर सकते हैं।
  • अपनी शिकायत दर्ज कराने के लिए- http://nrega.nic.in/statepage.asp?check=pgrपर क्लिक करें, अपने राज्‍य का चुनाव करें और शिकायत दर्ज कराने के लिए निर्देशों का पालन करें।

न्यूनतम मजदूरी दर

केन्द्रीय स्तर पर श्रम की न्यूनतम दर 1 अक्टूबर 2010 को न्यूनतम श्रम अधिनियम 1948 के प्रावधानों के अंतर्गत पुनर्निर्धारित की गई। राज्य स्तर पर श्रम की न्यूनतम दरों का समय-समय पर उपयुक्त सरकारों द्वारा पुनर्निरीक्षण किया जाता है। कृषि क्षेत्रक सहित अनुसूचित रोजगारों के लिए निर्धारित न्यूनतम श्रम संगठित और गैर-संगठित क्षेत्रकों पर भी लागू होती है।
सभी अनुसूचित रोजगारों में और साथ ही केन्द्रीय और राज्य स्तर पर कृषि के अनुसूचित रोजगार में लगे हुए अप्रशिक्षित श्रमिकों के लिए श्रम की न्यूनतम दरों पर उपलब्ध नवीनतम जानकारी को दर्शाने वाला एक विवरण इस प्रकार है:

(रु. प्रतिदिन)
क्रम सं.राज्य / संघीय क्षेत्र का नामसभी अनुसूचित रोजगारोंमें अप्रशिक्षित श्रमिकअप्रशिक्षित कृषि श्रमिक
1234
Aकेन्द्रीय स्तर*146.00-163.00146.00 – 163.00
Bराज्य स्तर  
1आन्ध्रप्रदेश69.00112.00
2अरुणाचल प्रदेश134.62134.62
3असम66.50100.00
4बिहार109.12114.00
5छत्तीसगढ़100.00100.00
6गोआ150.00157.00
7गुजरात100.00100.00
8हरियाणा167.23167.23
9हिमाचल प्रदेश110.00110.00
10जम्मू और कश्मीर110.00110.00
11झारखंड111.00111.00
12कर्नाटक72.94133.80
13केरल100.00150.00 (हल्के श्रम के लिए)
   200.00 (कठिन श्रम के लिए)
14मध्यप्रदेश110.00110.00
15महाराष्ट्र#90.65100.00 – 120.00
16मणिपुर81.4081.40
17मेघालय100.00100.00
18मिजोरम132.00132.00
19नागालैंड80.0080.00
20उड़ीसा90.0090.00
21पंजाब127.25(भोजन सहित)127.25 (भोजन सहित)
142.68 (बिना भोजन के)142.68 (बिना भोजन के)
22राजस्थान81.00100.00
23सिक्किम100.00
24तमिलनाडु87.60100.00
25त्रिपुरा81.54100.00
26उत्तरप्रदेश100.00100.00
27उत्तराखंड91.98113.68
28प. बंगाल96.0096.00
29अन्दमान और निकोबार द्वीपसमूह  
अन्दमान156.00156.00
निकोबार167.00167.00
30चंडीगढ़170.44170.44
31दादरा और नगर हवेली130.40130.40
32दमन और दीव126.40
33दिल्ली203.00203.00
34लक्षद्वीप147.40
35पुदुचेरी  
पुदुचेरी/करैकल100.00100.00 (6 घंटे के लिए)
माहे120.00 (8 घंटे में महिलाओं
द्वारा किए हल्के श्रम के लिए)
160.00 (पुरुषों द्वारा 8
घंटे में किए कठिन श्रम के लिए)
* विभिन्न क्षेत्रों के अंतर्गत।   # विभिन्न मंडलों के अंतर्गत।

अधिनियम को दो स्तरों पर लागू किया जाना है। केन्द्रीय स्तर पर मुख्य केन्द्रीय श्रम आयुक्त के निरीक्षण अधिकारियों द्वारा अधिनियम का प्रवर्तन सुनिश्चित किया जाता है। राज्य स्तर पर इसे राज्य प्रवर्तन तंत्र द्वारा सुनिश्चित किया जाता है। वे नियमित तौर पर निरीक्षण करते हैं और भुगतान नहीं किए जाने, अथवा न्यूनतम श्रम से कम भुगतान किए जाने की स्थिति में वे नियोक्ताओं को उचित भुगतान का निर्देश देते हैं। नियोक्ताओं द्वारा इसके निर्देश नहीं माने जाने पर दोषी नियोक्ताओं के विरुद्ध अधिनियम की धारा 22 के अनुसार दंडात्मक प्रक्रिया आरंभ की जाती है।

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