प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) भारत सरकार का सब्सिडी युक्त कार्यक्रम है। यह दो योजनाओं- प्रधानमंत्री रोजगार योजना (पीएमआरवाई) और ग्रामीण रोजगार सृजन कार्यक्रम को मिलाकर बनाया गया है। इस योजना का उद्घाटन 15 अगस्त, 2008 को किया गया।
उद्देश्य
- नए स्वरोजगार उद्यम/परियोजनाएं/लघु उद्यम की स्थापना के जरिए देश के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों दोनों में ही रोजगार के अवसर पैदा करना,
- बड़े पैमाने पर अवसाद ग्रस्त पारम्परिक दस्तकारों/ग्रामीण और शहरी बेरोजगार युवाओं को साथ लाना और जितना संभव हो सके, उनके लिए उसी स्थान पर स्वरोजगार का अवसर उपलब्ध कराना,
- देश में बड़े पैमाने पर पारम्परिक और संभावित दस्तकारों और ग्रामीण एवं शहरी बेरोजगार युवाओं को निरंतर और सतत रोजगार उपलब्ध कराना ताकि ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी क्षेत्रों की तरफ जाने से रोका जा सके
- दस्तकारों की रोजाना आमदनी क्षमता को बढ़ाना और ग्रामीण व शहरी रोजगार दर बढ़ाने में में योगदान देना।
वित्तीय सहायता की मात्रा और स्वरूप
पीएमईजीपी के तहत अनुदान के स्तर
पीएमईजीपी के तहत लाभार्थियों की श्रेणी | लाभार्थियों का योगदान (परियोजना की लागत में) | सब्सिडी की दर (परियोजना की लागत के हिसाब से) | |
क्षेत्र (परियोजना/इकाई का स्थान) | शहरी | ग्रामीण | |
सामान्य श्रेणी | 10% | 15% | 25% |
विशेष (अनुसूचित जाति/जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग/अल्पसंख्यक/महिलाएं, पूर्व सैनिक, विकलांग, एनईआर, पहाड़ी और सीमावर्ती क्षेत्र आदि समेत। | 5% | 25% | 35% |
नोट:
- विनिर्माण क्षेत्र के तहत परियोजना/इकाई की अधिकतम स्वीपकार्य राशि 25 लाख रुपये है,
- व्यिवसाय/सेवा क्षेत्र के तहत परियोजना/इकाई की अधिकतम स्वीाकार्य राशि 10 लाख रुपये है,
- कुल परियोजना लागत की बची हुई राशि बैंक द्वारा लोन के जरिए उपलब्ध कराई जाएगी।
लाभार्थी की योग्यता के मानक
- 18 वर्ष से अधिक का कोई भी व्यक्ति
- पीएमईजीपी के तहत परियोजना की स्थापना में सहायता के लिए कोई भी राशि नहीं होगी,
- विनिर्माण क्षेत्र में 10 लाख रुपये से अधिक लागत की परियोजना और व्यवसाय/सेवा क्षेत्र में 5 लाख रुपये से अधिक की परियोजना के लिए शैक्षणिक योग्यता के तौर पर लाभार्थी को आठवीं कक्षा उत्तीर्ण होना चाहिए,
- पीएमईजीपी के अंतर्गत योजना के तहत सहायता केवल विशिष्ट नई स्वीकार्य परियोजना के लिए ही उपलब्ध है,
- स्वयं सेवी समूह (बीपीएल समेत जिन्होंने अन्य किसी योजना के तहत लाभ न लिया हो) भी पीएमईजीपी के अंतर्गत सहायता के लिए योग्य हैं,
- सोसायटी रजिस्ट्रेशन अधिनियम, 1860 के तहत पंजीकृत संस्थान,
- उत्पादक कोऑपरेटिव सोसायटी और
- चैरिटेबल ट्रस्ट
- मौजूदा इकाई (पीएमआरवाई, आरईजीपी के अंतर्गत या केन्द्र सरकार या राज्य सरकार की अन्य किसी योजना के अंतर्गत) और पहले से ही केन्द्र सरकार या राज्य सरकार की किसी सरकारी योजना के तहत सब्सिडी ले चुकीं इकाइयां इसके योग्य नहीं हैं।
अन्य योग्यताएं
- लाभार्थी द्वारा जाति/समुदाय की एक प्रमाणित कॉपी या अन्य विशेष श्रेणी के मामले में सम्बन्धित प्राधिकरण द्वारा जारी किया गया दस्तावेज सब्सिडी पर दावे के साथ बैंक की सम्बन्धित शाखा को प्रस्तुत किया जाना जरूरी है,
- जहां जरूरी हो, वहां संस्थान के बाई-लॉज की एक प्रमाणित कॉपी सब्सिडी पर दावे के लिए संलग्न करनी होगी,
- योजना के अंतर्गत परियोजना लागत, वित्त के लिए पूंजी व्यय के बिना कार्यशील पूंजी परियोजना की एक साइकिल और पूंजी व्यय शामिल करेगी। 5 लाख रुपये से अधिक की परियोजना लागत जिन्हें कार्यशील पूंजी की आवश्यकता नहीं है, उन्हें क्षेत्रीय कार्यालय या बैंक शाखा के नियंत्रक से मंजूरी प्राप्त करना जरूरी है और दावे के लिए मामले के अनुसार नियंत्रक या क्षेत्रीय कार्यालय से स्वीकृत प्रति जमा करनी होगी,
- परियोजना लागत में भूमि के मूल्य को नहीं जोड़ा जाना चाहिए। परियोजना लागत में तैयार भवन या दीर्घकालीन पट्टे या किराये की वर्कशेड/वर्कशॉप की लागत शामिल की जा सकती है। इसमें शर्त यह होगी कि यह लागत बने-बनाये और लंबी अवधि के पट्टे या किराये की वर्कशेड/वर्कशॉप के लिए लागू होगा जो अधिकतम तीन वर्ष के लिए होगा,
- पीएमईजीपी ग्रामीण उद्योग की काली सूची को छोड़कर सभी ग्रामीण उद्योग परियोजनाओं समेत नए संभावित लघु उद्यम पर लागू है। मौजूदा/पुरानी इकाइयां योग्य नहीं हैं।
नोट:
- संस्थान/उत्पादक कोऑपरेटिव सोसायटी/ट्रस्ट जो कि खासकर अनुसूचित जाति/ जनजाति/ अन्य पिछड़ा वर्ग/महिलाएं/विकलांग/पूर्व सैनिक और अल्पसंख्यक संस्थानों के तौर पर पंजीकृत हैं, विशेष श्रेणी के लिए सब्सिडी के लिए आवश्यक प्रावधानों के साथ बाई-लॉज में योग्य हैं। हालांकि संस्थानों/उत्पादक कोऑपरेटिव सोसायटी/ट्रस्ट जो विशेष श्रेणी से सम्बन्धित नहीं हैं, सामान्य श्रेणी के लिए सब्सिडी के लिए योग्य नहीं होंगे।
- पीएमईजीपी के अंतर्गत परियोजना की स्थापना के लिए वित्तीय सहायता प्राप्त करने के लिए एक परिवार से केवल एक व्यक्ति ही योग्य होगा। परिवार में वह और उसकी पत्नी शामिल होंगे।
क्रियान्वयन अभिकरण
योजना, राष्ट्रीय स्तर पर एकल केंद्रीय अभिकरण, खादी और ग्रामोद्योग आयोग अधिनियम, 1956 द्वारा बनाई गई एक स्वायत्त संस्था खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी), मुम्बई द्वारा क्रियान्वित की जाएगी। राज्य स्तर पर योजना केवीआईसी के राज्य निदेशालयों, राज्य खादी और ग्रामोद्योग बोर्ड (केवीआईबी) और ग्रामीण क्षेत्रों में जिला उद्योग केन्द्रों के जरिए क्रियान्वित की जाएगी। शहरी क्षेत्रों में योजना केवल राज्य जिला उद्योग केन्द्रों (डीआईसी) द्वारा ही क्रियान्वित की जाएगी।
पीएमईजीपी के अंतर्गत प्रस्तावित अनुमानित लक्ष्य
चार वर्षों (2008-09 से 2011-12) के दौरान पीएमईजीपी के अंतर्गत प्रस्तावित निम्न अनुमानित लक्ष्य हैं-
वर्ष | रोजगार (संख्या में) | मार्जिन राशि (सब्सिडी) (करोड़ में) |
2008- 2009 | 616667 | 740.00 |
2009- 2010 | 740000 | 888.00 |
2010- 2011 | 962000 | 1154.40 |
2011- 2012 | 1418833 | 1702.60 |
योग | 3737500 | 4485.00 |
नोट:
- 250 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि का प्रावधान पिछले और आगे के कामों के लिए किया गया है,
- केवीआईसी और राजकीय डीआईसी के बीच इन लक्ष्यों को 60 और 40 के अनुपात में वितरित किया जाएगा जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में लघु उद्यमों पर विशेष जोर दिया जा सकेगा। मार्जिन राशि भी इसी अनुपात में आवंटित की जाएगी। डीआईसी यह सुनिश्चित करेगा कि कम से कम आधी राशि का उपयोग ग्रामीण क्षेत्रों में किया जाए,
- क्रियान्वयन एजेंसियों को राज्यवार सालाना लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए आवंटन किया जाएगा।
गतिविधियों की काली सूची
लघु उद्यम/परियोजना/इकाई के लिए पीएमईजीपी के अंतर्गत निम्न गतिविधियां स्वीकृत नहीं होंगी।
(क) मांस से सम्बन्धित कोई भी उद्योग/व्यवसाय जिसमें प्रसंस्करण, डिब्बाबंद और/या भोजन के रूप में परोसे जाने वाले व्यंजन, सृजन/विनिर्माण या बीड़ी/पान/सिगार/सिगरेट आदि जैसे नशे के पदार्थ की बिक्री, कोई होटल या ढाबा या शराब परोसने की दुकान, कच्ची सामग्री के तौर पर तंबाकू की तैयारी/सृजन, ताड़ी की बिक्री,
(ख) फसल उगाने/पौधारोपण जैसे चाय, कॉफी रबर आदि, रेशम की खेती, बागबानी, फूलों की खेती, पशुपालन जैसे सुअर पालन, मुर्गीपालन, कटाई मशीन आदि से सम्बन्धित कोई भी उद्योग/व्यवसाय,
(ग) 20 माइक्रॉन की मोटाई से कम के पॉलीथिन के लाने ले जाने वाले थैलों का विनिर्माण या संग्रहण के लिए, लाने ले जाने के लिए, आपूर्ति या खाने के सामान की पैकिंग के लिए या अन्य कोई भी सामान जो पर्यावरण प्रदूषण का कारण बने, जैसे रिसाइकिल की हुई प्लास्टिक से बने कंटेनर,
(घ) पश्मीना ऊन के प्रसंस्करण जैसे उद्योग और हथकरघा और बुनाई वाले अन्य उत्पाद, जिसका प्रमाणन नियमों के तहत खादी कार्यक्रम के अंतर्गत फायदा उठाया जा सकता है और बिक्री में रियायत प्राप्त की जा सकती है।
(च) ग्रामीण परिवहन (अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह में ऑटो रिक्शा, जम्मू-कश्मीर में हाउस बोट, शिकारा और पर्यटक बोट और साइकिल रिक्शा छोड़कर)।
पीएमईजीपी योजना पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
प्रश्न: पीएमईजीपी के तहत अधिकतम परियोजना लागत क्या है ?
उत्तर: मैन्युफैक्चरिंग इकाई के लिए 25 लाख रुपये और सेवा इकाई के लिए 10 लाख रुपये।
प्रश्न: क्या भूमि का मूल्य भी परियोजना लागत में शामिल है ?
उत्तर:नहीं।
प्रश्न: कितना पैसा (सरकारी सब्सिडी) स्वीकार्य है ?
उत्तर:
पीएमईजीपी के तहत लाभार्थियों की श्रेणी | सब्सिडी का मूल्य (मार्जिन राशि) (परियोजना लागत की) | |
क्षेत्र (परियोजना/इकाई का स्थान) | शहरी | ग्रामीण |
सामान्य श्रेणी | 15% | 25% |
विशेष (अनुसूचित जाति/जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग/अल्पसंख्यक/महिलाएं, पूर्व सैनिक, विकलांग, एनईआर, पहाड़ी और सीमावर्ती क्षेत्र आदि। | 25% | 35% |
प्रश्न: परियोजना लागत के घटक क्या हैं ?
उत्तर- पूंजी व्यय ऋण, कार्यकारी पूंजी का एक चक्र और सामान्य श्रेणी के मामले में अपने हिस्से के तौर पर परियोजना लागत का 10 प्रतिशत और कमजोर वर्ग के मामले में परियोजना लागत का 5 प्रतिशत।
प्रश्न: लाभार्थी कौन हैं ?
उत्तर: उद्यमी, संस्थान, सहकारी संस्थाएं, स्वयंसेवी समूह, ट्रस्ट।
प्रश्न: कौन सी वित्तीय एजेंसियां हैं ?
उत्तर: सार्वजनिक क्षेत्र के 27 बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (आरआरबी), सम्बन्धित राज्य कार्य बल समिति से स्वीकृत सहकारी और निजी सूचीबद्ध व्यावसायिक बैंक।
प्रश्न: पूंजी व्यय ऋण/नकद सीमा कैसे प्रयोग में लाई जाएगी ?
उत्तर: कार्यशील पूंजी को कम से कम एक बार एमएम की लॉक-इन अवधि के तीन वर्ष के भीतर नकद उधार की 100 प्रतिशत सीमा को छूना चाहिए और औसतन स्वीकृत की गई सीमा का 75 प्रतिशथ से कम का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए।
प्रश्न: लाभार्थी को अपना आवेदन पत्र कहां जमा करना होगा ?
उत्तर: लाभार्थी अपना आवेदन नजदीकी केवीआईसी/केवीआईबी/डीआईसी अधिकारी के पास या किसी भी बैंक (जो कम से कम 2-3 हफ्ते का ईडीपी प्रशिक्षण ले चुका हो्) के पास जमा करवा सकते हैं। केवीआईसी/केवीआईबी/डीआईसी के कार्यालयों के पते www.pmegp.in पर उपलब्ध हैं।
प्रश्न: ग्रामोद्योग क्या हैं ?
उत्तर: ग्रामीण क्षेत्र में किसी भी ग्रामीण उद्योग (काली सूची में दिए गए को छोड़कर) जो किसी भी सामान का उत्पादन करता हो या फिर बिजली के प्रयोग और उसके बिना कोई सेवा देता और जिसमें मैदानी इलाकों में पूर्णकालिक दस्तकार या कार्यकर्ता के लिए अचल पूंजी निवेश एक लाख रुपये से अधिक न हो और पहाड़ी क्षेत्रों में डेढ़ लाख रुपये से अधिक।
प्रश्न: ग्रामीण क्षेत्र क्या होता है ?
उत्तर: जनसंख्या का कोई भी क्षेत्र जो राज्य के राजस्व रिकॉर्ड के मुताबिक गांव के तौर पर शामिल हो। इसमें वे क्षेत्र भी शामिल होते हैं जो कस्बे के तौर पर होते हैं, लेकिन जिनकी जनसंख्या 20 हजार से अधिक नहीं होती।
प्रश्न: आयु सीमा क्या है ?
उत्तर: 18 वर्ष से अधिक आयु का कोई भी वयस्क आरईजीपी के तहत वित्त के लिए योग्य है।
प्रश्न: परियोजना की प्रमुख कसौटी क्या है ?
उत्तर: ग्रामीण क्षेत्र की (ग्रामीण क्षेत्र की परियोजना के लिए) प्रति व्यक्ति निवेश, अपना योगदान, काली सूची और इकाई के नए होने की कसौटी को पूरा करना चाहिए ।
प्रश्न: क्या ईडीपी प्रशिक्षण अनिवार्य है ?
उत्तर: लाभार्थी के लिए बैंक लोन की पहली किस्त के आने से पहले 2-3 हफ्ते का ईडीपी प्रशिक्षण पूरा करना अनिवार्य है।
प्रश्न: क्या सुरक्षा की गारंटी आवश्यक है ?
उत्तर: भारतीय रिजर्व बैंक के दिशानिर्देशों के मुताबिक पीएमईजीपी लोन के तहत 5 लाख रुपये तक की परियोजना लागत सुरक्षा गारंटी से मुक्त है। सीजीटीएसएमई 5 लाख रुपये तक और पीएमईजीपी योजना के तहत 25 लाख रुपये तक की परियोजना के लिए सुरक्षा गारंटी देते हैं।
प्रश्न: परियोजना की तैयारी के लिए लाभार्थी के लिए क्या हेल्पलाइन है ?
उत्तर: परियोजना रिपोर्ट की तैयारी में उद्यमियों की सहायता के लिए केवीआईसी ने 73 आरआईसीएस इकाइयां खोली हैं। संबंधित पता- www.pmegp.in या www.kvic.org.in पर देखी जा सकती है।
प्रश्न: क्या कोई उद्यमी एक से अधिक परियोजना जमा कर सकता है ?
उत्तर: पीएमईजीपी के तहत लाभाथियों को बड़ी संख्या में लाभ देने के लिए एक परिवार द्वारा एक इकाई स्थापित की जा सकती है।
प्रश्न: परिवार की परिभाषा क्या है ?
उत्तर:पति और पत्नी।
प्रश्न: क्या शहरी क्षेत्र में इकाई स्थापित की जा सकती है ?
उत्तर: हां,लेकिन डीआईसी के जरिए।
प्रश्न: क्या मौजूदा इकाई पीएमईजीपी के तहत अनुदान को ले सकती है ?
उत्तर: नहीं, केवल नई इकाई ही।
प्रश्न: क्या केवीआईसी के साथ मॉडल परियोजनाएं उपलब्ध हैं ?
उत्तर: हां, उद्योगवार मॉडल परियोजनाएं www.pmegp.in पर उपलब्ध है।
प्रश्न: ईडीपी का प्रशिक्षण लेने के लिए प्रशिक्षण केन्द्र कहां हैं ?
उत्तर: हमारी वेबसाइट www.pmegp.in पर ईडीपी प्रशिक्षण केन्द्रों की सूची उपलब्ध है।
प्रश्न: सरकारी सब्सिडी के लिए लॉक-इन अवधि क्या है ?
उत्तर: तीन वर्ष।
प्रश्न: क्या दो विभिन्न स्रोतों से संयुक्त रूप से वित्त लिया जा सकता है (बैंक/वित्तीय संस्थान) ?
उत्तर: नहीं, इसकी अनुमति नहीं है।
प्रश्न: आवेदक को स्वयं कितना योगदान करना होगा ?
उत्तर :
पीएमईजीपी के तहत लाभार्थियों की श्रेणी | लाभार्थी का योगदान (परियोजना लागत की) |
सामान्य श्रेणी | 10% |
विशेष (अनुसूचित जाति/जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग/अल्पसंख्यक/महिलाएं, पूर्व सैनिक, विकलांग, एनईआर, पहाड़ी और सीमावर्ती क्षेत्र आदि | 05% |
योजना संबंधी पूर्ण जानकारी
स्रोत: www.kvic.org.in