योजना के बारे में
- भारत सरकार के कृषि मंत्रालय ने राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) तथा मैनेज के सहयोग से यह योजना आरंभ की है, ताकि देश भर के किसानों तक कृषि के बेहतर तरीके पहुंचाये जा सकें। इस कार्यक्रम का उद्देश्य कृषि स्नातकों की बड़ी संख्या में उपलब्ध विशेषज्ञता का सदुपयोग है। आप नये स्नातक हैं या नहीं अथवा नियोजित हैं या नहीं, इस बात को ध्यान में रखे बिना आप अपना कृषि क्लीनिक या कृषि व्यापार केंद्र स्थापित कर सकते हैं और किसानों की बड़ी संख्या को पेशेवर प्रसार सेवाएं मुहैया करा सकते हैं।
- इस कार्यक्रम के प्रति समर्पित रह कर सरकार अब कृषि और कृषि से संबंधित अन्य विषयों, जैसे बागवानी, रेशम उत्पादन, पशुपालन, वानिकी, गव्य पालन, मुर्गीपालन तथा मत्स्य पालन में स्नातकों को आरंभिक प्रशिक्षण भी दे रही है। प्रशिक्षण प्राप्त करनेवाले स्नातक उद्यम के लिए विशेष आरंभिक ऋण के लिए आवेदन भी कर सकते हैं।
उद्देश्य
सरकार की प्रसार प्रणाली के प्रयासों का पूरक बनना
जरूरतमंद किसानों को आपूर्ति और सेवाओं के पूरक स्रोत उपलब्ध कराना
कृषि स्नातकों को कृषि क्षेत्र में नये उभरते क्षेत्रों में लाभदायक नियोजन उपलब्ध कराना
परिकल्पना
कृषि क्लीनिक – कृषि क्लीनिक की परिकल्पना किसानों को खेती, फसलों के प्रकार, तकनीकी प्रसार, कीड़ों और बीमारियों से फसलों की सुरक्षा, बाजार की स्थिति, बाजार में फसलों की कीमत और पशुओं के स्वास्थ्य संबंधी विषयों पर विशेषज्ञ सेवाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से की गयी है, जिससे फसलों या पशुओं की उत्पादकता बढ़ सके।
कृषि व्यापार केंद्र– कृषि व्यापार केंद्र की परिकल्पना आवश्यक सामग्री की आपूर्ति, किराये पर कृषि उपकरणों और अन्य सेवाओं की आपूर्ति के लिए की गयी है।
उद्यम को लाभदायक बनाने के लिए कृषि स्नातक कृषि क्लीनिक या कृषि व्यापार केंद्र के साथ खेती भी कर सकते हैं।
पात्रता
यह योजना कृषि स्नातकों या कृषि से संबंधित अन्य विषयों, जैसे बागवानी, रेशम उत्पादन, पशुपालन, वानिकी, गव्य पालन, मुर्गीपालन तथा मत्स्य पालन में स्नातकों के लिए खुली है।
परियोजना गतिविधियां
- मृदा और जल गुणवत्ता सह इनपुट जांच प्रयोगशाला (आणविक संग्रहक स्पेक्ट्रो फोटोमीटर सहित)
- कीटों पर नजर, उपचार और नियंत्रण सेवाएं
- लघु सिंचाई प्रणाली (स्प्रिंलकर और ड्रिप समेत) के उपकरणों तथा अन्य कृषि उपकरणों के रख-रखाव, मरम्मत तथा किराये पर देना
- ऊपर दी गई तीनों गतिविधियों (समूह गतिविधि) समेत कृषि सेवा केंद्र
- बीज प्रसंस्करण इकाई
- पौध टिश्यू कल्चर प्रयोगशाला और ठोसपरक इकाई के माध्यम से लघु प्रचालन
- वर्मी कल्चर इकाइयों की स्थापना, जैव उर्वरकों, जैव कीटनाशकों तथा जैव नियंत्रक उपायों का उत्पादन
- मधुमक्खी पालन और मधु तथा मक्खी के उत्पादों की प्रसंस्करण इकाई स्थापित करना
- प्रसार परामर्शदातृ सेवाओं की व्यवस्था
- मत्स्य पालन के लिए पालनगृहों और मत्स्य उत्पादन का निर्माण
- मवेशियों के स्वास्थ्य की देखभाल के लिए पशु चिकित्सालयों का निर्माण और फ्रोजेन सीमेन बैंक तथा द्रवीकृत नाइट्रोजन आपूर्ति की व्यवस्था
- कृषि से संबंधित विभिन्न पोर्टलों तक पहुंच स्थापित करने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में सूचना तकनीकी कियोस्क की स्थापना
- चारा प्रसंस्करण और जांच इकाई
- मूल्य वर्द्धन केंद्र
- खेत स्तर से लेकर ऊपर तक शीतल चेन की स्थापना (समूह गतिविधि)
- प्रसंस्करित कृषि उत्पादों के लिए खुदरा व्यापार केंद्र
- कृषि की निवेश (इनपुट) और निर्गम (आउटपुट) के व्यापार के लिए ग्रामीण विपणन विक्रेता
उपरोक्त लाभप्रद गतिविधियों में से कोई दो या अधिक के साथ स्नातकों द्वारा चयनित कोई अन्य लाभप्रद गतिविधि, जो बैंक को स्वीकार हो
परियोजना लागत और कवरेज
कोई भी कृषि स्नातक यह परियोजना निजी या संयुक्त अथवा समूह के आधार पर ले सकता है। व्यक्तिगत आधार पर ली गई परियोजना की अधिकतम सीमा 10 लाख रुपये है, जबकि सामूहिक आधार की परियोजना की अधिकतम सीमा 50 लाख है। समूह सामान्य तौर पर पांच का हो सकता है, जिसमें से एक प्रबंधन का स्नातक हो अथवा उसके पास व्यापार विकास तथा प्रबंधन का अनुभव हो।
सीमांत धन (डाउन पेमेंट) – भारतीय रिजर्व बैंक के नियमों के अनुरूप
10 हजार रुपये तक | कोई मार्जिन नहीं |
10 हजार रुपये से अधिक | परियोजना लागत का 15 से 25 प्रतिशत |
ब्याज दर–
वित्त प्रदाता बैंकों द्वारा अंतिम लाभुक से वसूली जानेवाली ब्याज दर का विवरण नीचे दिया गया है-
अंतिम लाभुक तक ब्याज दर | |||
वाणिज्यिक बैंक | क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक | सहकारी बैंक | |
25 हजार रुपये तक | बैंक द्वारा निर्धारित पर बैंक के पीएलआर का अधिकतम | बैंक द्वारा निर्धारित | एससीबी द्वारा निर्धारित, पर न्यूनतम 12 प्रतिशत |
25 हजार से अधिक व दो लाख तक | वही | वही | वही |
दो लाख से अधिक | बैंक द्वारा निर्धारित | वही | वही |
पुनर्भुगतान
ऋण की अवधि 5 से 10 साल के लिए गतिविधि पर आधारित होगी। पुनर्भुगतान अवधि में कृपा अवधि भी शामिल हो सकती है, जिसका फैसला वित्त प्रदाता बैंक अपनी नीतियों के अनुसार करेंगे और जिसकी अधिकतम अवधि दो साल होगी।
ऋण धारकों का चयन
ऋण धारकों और परियोजना स्थलों का चयन बैंकों द्वारा कृषि विश्वविद्यालयों या कृषि विज्ञान केंद्र या राज्य के कृषि विभाग से परामर्श कर उनके संचालन क्षेत्र में किया जा सकता है