Crop County

एकीकृत बागवानी विकास मिशन

मिशन के बारे मेें

एकीकृत बागवानी विकास मिशन (एमआईडीएच) फलों, सब्जियों, जड़ व कन्द फसलों, मशरूम, मसाले, फूल, सुगंधित पौधों, नारियल, काजू, कोको और बांस इत्यादि उत्पादों के चौमुखी विकास की केंद्रीय वित्त पोषित योजना है। पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों को छोड़कर देश के सभी प्रदेशों में लागू इस योजना से जुड़े विकास कार्यक्रमों के कुल बजट का 85 प्रतिशत हिस्सा भारत सरकार देती है जबकि शेष 15 प्रतिशत राज्य सरकारें खुद वहन करती हैं। पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों के मामले में शत-प्रतिशत बजट केंद्र सरकार ही वहन करती है। इसी तरह बांस विकास सहित राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड (एनएचबी), नारियल विकास बोर्ड, केंद्रीय बागवानी संस्थान, नागालैंड और राष्ट्रीय एजेंसियों (एनएलए) के कार्यक्रमों के लिए भी शत-प्रतिशत बजटीय योगदान भारत सरकार का ही होगा।

मिशन के उद्देश्य

मिशन के मुख्य उद्देश्य हैं:

A. बागवानी क्षेत्र के चौमुखी विकास को बढ़ावा देना जिसमें बांस और नारियल भी शामिल है। इस क्रम में प्रत्येक राज्य अथवा  क्षेत्र की जलवायु विविधता के अनुरूप क्षेत्र आधारित अलग-अलग कार्यनीति अपनाना। इसमें शामिल है-अनुसंधान, तकनीक को बढ़ावा, विस्तारीकरण, फसलोपरांत प्रबंधन, प्रसंस्करण और विपणन इत्यादि।

B. कृषकों को एफआईजी, एफपीओ व एफपीसी जैसे कृषक समूहों से जुड़ने के लिए प्रोत्साहित करना ताकि समानता और व्यापकता आधारित आर्थिकी का निर्माण किया जा सके।

C. बागवानी उत्पादन की उन्नति, कृषक संख्या में वृद्धि, आमदनी और पोषाहार सुरक्षा

D. गुणवत्ता, पौध सामग्री और सूक्ष्म सिंचाई के प्रभावी उपयोग के जरिये उत्पादकता सुधार

E. बागवानी क्षेत्र में ग्रामीण युवाओं में मेधा विकास को प्रोत्साहन देना और रोजगार उत्पन्न करना तथा खासकर फसलोपरांत शीत श्रृंखला के क्षेत्र में उचित प्रबंधन

उप-योजनाएं और कार्यक्षेत्र

एकीकृत बागवानी विकास मिशन के अंतर्गत ये उप-योजनाएं और कार्यक्षेत्र होंगेः

संख्याउप-योजनासमूह/कार्य क्षेत्र
1राष्ट्रीय  बागवानी मिशनपूर्वोत्तर व हिमालयी राज्यों के अलावा सभी राज्य व केंद्र शासित प्रदेश
2पूर्वोत्तर व हिमालयी राज्य बागवानी मिशनसभी पूर्वोत्तर व हिमालयी क्षेत्र
3राष्ट्रीय बांस मिशनराज्य व केंद्र शासित प्रदेश
4राष्ट्रीय  बागवानी बोर्डव्यावसायिक बागवानी पर जोर देने वाले सभी राज्य व केंद्र शासित प्रदेश
5नारियल विकास बोर्डनारियल  उत्पादक सभी राज्य व केंद्र शासित प्रदेश
6केंद्रीय बागवानी संस्थामानव संसाधन व क्षमता विकास पर जोर देने वाले पूर्वोत्तर के राज्य

कार्यनीति

उपरोक्त उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए मिशन निम्नलिखित कार्यनीतियों को अपनाएगाः

  • उत्पादन-पूर्व, उत्पादन के दौरान और उत्पादन के उपरांत ठोस प्रबंधन के लिए एक सिरे से दूसरे सिरे तक चौतरफा नजरिया अपनाना। साथ ही प्रसंस्करण और विपणन के जरिये यह सुनिश्चित करना कि उत्पादकों को फसल का सही लाभ मिल सके।
  • खेती, उत्पादन, फसलोपरांत प्रबंधन और शीत श्रृंखला पर विशेष ध्यान देते हुए जल्द खराब होने वाले उत्पादों के प्रसंस्करण इत्यादि के लिए अनुसंधान और विकास संबंधी तकनीक को बढ़ावा देना।
  • गुणवत्ता के जरिये उत्पादन सुधार के लिए निम्नलिखित उपाय करनाः
  1. पारंपरिक खेती की बजाय बागीचों को बढ़ावा देना। इस क्रम में फलों के बागानों, अंगूर के बागों, फूलों, सब्जी के बगीचों और बांस की खेती पर जोर देना।
  2. सरंक्षित खेती और आधुनिक कृषि सहित उन्नत बागवानी के लिए किसानों तक सही तकनीक का विस्तार करना।
  3. खासकर उन राज्यों में जहां बागवानी का क्षेत्र कुल कृषि क्षेत्र के 50 प्रतिशत से कम है, वहां एकड़ के हिसाब से बांस और नारियल सहित फलोद्यान और बागीचा खेती का विस्तार करना।
  • फसलोपरांत प्रबंधन, प्रसंस्करण और विपणन की परिस्थितियों में सुधार लाना।
  • परस्पर समन्वय और सहभागिता को अपनाना, अनुसंधान और विकास के क्षेत्र में आगे बढ़ना व इसे लोगों तक पहुंचाना तथा राष्ट्रीय, क्षेत्रीय, राज्यीय व उपराज्यीय स्तर पर सार्वजनिक व निजी क्षेत्र की प्रसंस्करण और विपणन इकाईयों को बढ़ावा देना।
  • उपज का उचित लाभ हासिल करने के लिए कृद्गाक उत्पादक संगठनों (एफपीओ) को बढ़ावा देना तथा विपणन संघों व वित्तीय संस्थानों के साथ संबंध स्थापित करना।

नए दिशा-निर्देशों की ज्यादा जानकारी के लिए देंखे राष्ट्रीय बागवानी मिशन 

स्त्रोत : एकीकृत राष्ट्रीय बागवानी विकास मिशन,कृषि एवं सहकारिता विभाग,कृषि मंत्रालय