परिचय
खेती में बढ़ती लागत को कम करने तथा मिट्टी की उर्वराशक्ति को बनाए रखने के लिए जैविक खाद कंपोस्ट का अपना महत्त्व है| परन्तु हमारे यहाँ लगभग सत्तर प्रतिशत सत्तर प्रतिशत गोबर का उपयोग ईंधन के रूप में हो जाने के कारण किसान गोबर आदि की खाद का अभाव महसूस करते हैं| इसके अतिरिक्त कंपोस्ट तैयार करने में समुचित ध्यान न देने से इसकी गुणवत्ता भी प्रभावित होती है| जापानी विधि द्वारा कम गोबर और कचरे से चार महीने में ही उत्तम किस्म की कंपोस्ट तैयार की जा सकती है|
उत्तम कंपोस्ट हेतु जापानी विधि
जापानी विधि में गड्ढे के स्थान पर पत्थर ईंट अथवा बांस व अरहर आदि की टहनियों की मदद से 98×3×21/2 फीट का हौज या टंकीनुमा वैट तैयार कर लेते हैं जिसके भीतर तले में सीमेंट, चुने, मिट्टी अथवा प्लास्टिक सी सख्त न रिसने वाला फर्श बना देता हैं जिससे तापमान बहुत अधिक नहीं हो पाता तथा नाइट्रेट व अन्य तत्त्वों का रिसाव भी नहीं होता| इसमें पत्तियों, नर्म टहनियों व चले राख आदि की आधी फीट या एक बिस्ता मोटी तह बिछा देते हैं| इसके ऊपर सूखी पत्तियों, घासों, मूंगफली के छिलकों, खरपतवार आदि की उतनी ही मोटी दूसरी तह बिछा देते हैं| अब इसके ऊपर गोबर, गौमूत्र व बायोगैस स्लरी अथवा इनके पानी में मिश्रण का छिड़काव कर मिट्टी या राख की एक पतली परत बिछा देते हैं| इसके ऊपर हरी घासों, खरपतवार, सनई, ढैंचा, फसल अवशेषों की सामान मोटाई की तीसरी तह डाल देते हैं जो नाइट्रोजन से परिपूर्ण होती हैं| चौथी परत में फास्फोरस के स्रोत के रूप में, हरी खाद के रूप में प्रयुक्त होने वाली तथा दलहनी फसलों की जड़ों, रॉक फास्फेट तथा पोटाश हेतु मदार, धतूरा, टमाटर व तम्बाकू की फसलों के अवशेष, राख अथवा कूक्कूट आदि की खाद की अधिक फीट ऊँची तह जमा देते हैं| इसके ऊपर भी गोबर व बायोगैस स्लरी के घोल की दो तीन बाल्टियों का छिड़काव कर दें जिससे सारी परतें नीचे तक गीली हो जाएँ| धान या बाजरे की भूसे या पुआल की एक पांचवीं तह भी जमाई जा सकती हैं जो कार्बनिक तत्त्व की उत्तम स्रोत होगी तथा सूक्ष्म जीवों को ऊर्जा प्रदान करेगी|
छठी व अंतिम परत में लगभग एक फीट ऊँची गोबर की तह बिछा आकर ऊपर से तालाब की मिट्टी, राख अथवा पुरानी कंपोस्ट का छिड़काव कर देते हैं|
15 दिनों बाद इस मिश्रण को पलट देते हैं फिर हर महीने इसे पलटते हैं| अंतिम बार पलटते समय इसमें 50 से 100 किलो ग्राम रॉक फास्फेट जिप्सम (प्रति टन के हिसाब से)? तथा खली भी मिला देने से कंपोस्ट और अधिक उर्वर हो जाएगी|
जापानी विधि द्वारा तैयार इस कंपोस्ट की गुणवत्ता कार्बनिक पदार्थ की उपलब्धता, उनके उचित मिश्रण आदि पर निर्भर करती हैं इसमें कार्बन व नाइट्रोजन का अनुपात 17.9 से 11. 9 तक होता है|
स्रोत : हलचल, जेवियर समाज सेवा संस्थान, राँची|